Karva Chauth Ki Kahani – करवा चौथ की कहानी hindi PDF download

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Karwa Chauth (करवा चौथ) का व्रत भारतीय महिलायों के लिए बहुत ही खास होता है. बहुत सारी शादीशुदा महिलाएं अपने पति की नौकरी की वजह से अपने परिवार से दूर रहती है. वह रहकर उन्हें Karva Chauth Ki Kahani google या बहुत सारे सर्च इंजन websites पर search करती है. आज Hindi Story PDF आपके लिए करवा चौथ की एक ऐंसी कहानी जो शायद आपने न सुनी हो।

आज हर सुहागिन स्त्री करवा चौथ की कहानी जानना चाहती है. पर उस से पहले करवा चौथ की कहानी और उसके महत्व को जानेगे.

Karva Chauth Ki Kahani का महत्व 

भारत वर्ष में बारह महीने में बारह चौथ के व्रत विधान है. सभी चौथ के व्रतो की अलग-अलग कहानिया और विधिया है. सभी चौथ व्रतो में करवा चौथ की कहानी का बहुत महत्व है. एक पत्नी की सदैव यही इच्छा रहती है कि जीवन भर साथ देने वाला उसका प्रेमी पति हमेशा उसके साथ रहे। अपने सुहाग (पति) की दीर्घायु के लिए करवा चौथ का व्रत लिया जाता है. 

करवा चौथ व्रत की कहानी भी कुछ ऐंसी ही है जिसमें एक पतिव्रता पत्नी karva chauth ki kahani से अपने मरे हुए पति को पुनर्जीवित कर देती है। पूरी करवा चौथ की कहानी क्या है? आइये उस से पहले हम जानेगे करवा चौथ कब मनाई जाती है.

Karva Chauth Kab Manate hai ( करवा चौथ कब मनाते है )

प्रत्येक वर्ष कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ मनाया जाता है. हाँ, ये नैतिकता की शिक्षा है कि कैसी कैसी पतिव्रता स्त्रियां हुई और किस तरह से उन्होंने अपने पतिव्रता बल पर पति को मौत के मुँह से बाहर निकाला.आइये, विस्तार से पूरी कहानी पढ लीजिए। अन्त में PDF के माध्यम से भी करवा चौथ की कहानी दी गयी है जो आपको बहुत अच्छी लगेगी एवं एक नयी उर्जा देगी। तो चलिए, करवा चौथ की कहानी पढते हैं।

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karwa Chauth Mata ki Katha ( करवा चौथ माता की कहानी )

एक बार की बात है। एक साहूकार के सात बेटे और एक बेटी थी। बेटी का विवाह हो चुका था, बेटी अपने मायके में आयी थी। बेटी का नाम करवा था। सातों भाई अपनी इस इकलौती करवा बहन को बहुत गहरा प्रेम करते थे। अपनी बहन का पूरा ध्यान रखते है। जब करवा मायके में आयी हुई थी तो एक दिन शाम को सभी भोजन करने के लिए बैठे। कार्तिक मास, कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि थी। अतः घर में साहूकार की सभी बहुओं ने और साहूकार की बेटी करवा ने चतुर्थी/ चौथ का व्रत रखा हुआ था। 

 जब साहूकार के सभी बेटे भोजन के लिए बैठे तो उन्होंने अपनी बहन को भोजन करने के लिए कहा। भाइयों का भोजन करने के लिए बुलाने पर बहन ने कहा- भाई, अभी चाँद नहीं आया है। जब चाँद आ जाएगा तब मैं चाँद को अर्घ्य देकर व्रत पूरा करके ही भोजन करुंगी। करवा के ऐंसा कहने पर भाइयों को चिन्ता हुई कि बहन भूखी है और अभी चाँद भी नहीं आया है। 

 ऐंसे में सात भाइयों में से सबसे छोटा भाई बाहर किसी दूर के पेड़ पर जाकर उसमें अग्नि जलाकर उसमें एक छलनी लगाकर बहन के पास आया और बहन को कहने लगा- देखो बहन चाँद आ गया है। अब खाना खा लो। बहन ने अपनी भाभियों को भी कहा- भाभी देखो चाँद निकल आया है। अब आप लोग भी अर्घ्य देकर व्रत पूरा करके भोजन कर लो। भाभियों ने ननद करवा की बात सुनकर कहा- ननद, ये चाँद तुम्हारा आया है। हमारा नहीं। 

 ऐंसा कहने के बाद यह करवा अकेले ही भोजन करने के लिए बैठ जाती है और जैंसे ही भोजन का पहला ग्रास अपने मुंह में लेती है तो उसे छींक आ जाती है। दूसरा ग्रास मुंह में लेती है तो उसमें बाल निकल जाता है। इसके बाद जैंसे ही भोजन का तीसरा ग्रास मुंह में लेने को रहती है तो उसी समय उसके ससुराल से न्योता आता है कि उसके पति का स्वास्थ्य बहुत खराब है। 

वह शीघ्र पति को देखने ससुराल आ जाए। इसके बाद उसकी भाभी उसे सच्चाई बताती हैं कि उसके साथ ऐंसा इसलिए हुआ क्योंकि उसने करवा चौथ का व्रत तोड़ दिया था। उसके भाइयों ने आग जलाकर झूठ कहा कि चाँद निकल गया और उसने सच मानकर अपना व्रत तोड़ दिया। इसी कारण उसका पति बीमार हुआ। सच्चाई जानने के बाद जब करवा अपने ससुराल को जाती है और यह प्रतिज्ञा करती है कि मैं अपने पति को कुछ नहीं होने दुंगी। 

दुर्भाग्यवश, जब करवा अपने ससुराल पहुँचती है तो उसका पति प्राण छोड़ चुका होता है। पति के प्राण चले जाने पर करवा अपने दुःख को सहन नहीं कर पाती है और सभी से कहती है कि मैं अपने पति का अंतिम संस्कार नहीं होने दुंगी। मैं अपने पति से दूर नहीं रह सकती। मैं एक पतिव्रता और सतीत्व की शक्ति से अपने पति के प्राणों को वापस लाउंगी। करवा की इन बातों को सुनकर सब उसे पागल-पागल कहने लगते हैं और करवा के पति को श्मशान में अंतिम संस्कार के लिए ले जाते हैं। 

करवा भी अपने हठ और पति के वियोग में श्मशान में चली जाती है और वंहा सबको अपने पति की चिता जलाने से इन्कार करती है। करवा की बार-बार जिद करने पर सभी पारिवारिक लोग करवा की बात मान लेते हैं और करवा के पति का अंतिम संस्कार नहीं करते हैं। सब घर चले जाते जाते हैं। करवा अपने मृत पति को लेकर दूर कंही एक झोपड़ी में रहने लगती है और अपने पति को जीवित करने के लिए भगवान की पूजा व्रत आदि करने लगती है। एक साल बीत जाता है। 

करवा उसी दिन का इंतजार करती है जब उसने अपने मायके में चतुर्थी का व्रत तोड़ा था। एक वर्ष बीतने के बाद जब फिर से वही कार्तिक मास की चौथ (चतुर्थी) का दिन आता है तो करवा अपने पति के प्राणों के लिए निर्जला करवा चौथ का व्रत रखती है। करवा अपने पति को पुनर्जीवित करने के लिए माँ जगदंबा से प्रार्थना करती है कि मेरे पति के प्राणों को वापस लायें। मुझे मेरा सुहाग वापस लौटाएं।

 जब करवा का यह व्रत पूरा होने को रहता है तो उसके व्रत से माँ प्रसन्न हो जाती है और उसे कहती है कि यदि तुम अपने पति के प्राणों को वापस पाना चाहती हो तो अपनी सबसे छोटी भाभी के पास जाओ। वही तुम्हारे पति के प्राणों को वापस ला सकती है क्योंकि करवा का व्रत तोडने का कारण उसका सबसे छोटा भाई ही था। उसी ने पेड़ पर अग्नि जलाकर बहन को झूठ कहा था कि चाँद आ गया है।

 अतः करवा अपनी सबसे छोटी भाभी के पास जाती है और उनके पांव को पकड़कर कहने लगती है कि मुझे मेरा सुहाग वापस दिलवा दो। बार-बार कहने से करवा की भाभी अपनी छोटी अंगुली को चीरकर उससे रक्त अमृत निकालती है और करवा के पति के मुंह में डालती है। 

ऐंसा करने पर करवा का पति- “जय गणेश, जय गौरी, जय गणेश, जय गौरी” कहता हुआ पुनर्जीवित हो जाता है। इस प्रकार भगवान की कृपा से करवा का पति वापस आ जाता है तब करवा माँ गौरी से प्रार्थना करती है कि हे माँ गौरी, जिस प्रकार आज आपने इस करवा को फिर से सुहागन बनाया और चिर सुहागन का वरदान दिया ठीक उसी प्रकार, हे माँ! सभी स्त्रियों को सुहागन का वरदान मिले।

करवा चौथ की कहानी की hindi PDF download कैसे करे?

इस karva chauth vrat katha की पीडीऍफ़ download करने के लिए आपको किसी और दुसरे पेज या वेबसाइट पर जाने की जरुरत नहीं है आप इसे नीचे दिए लिंक से download कर सकते है और ये बिलकुल मुफ्त है 

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प्यारी बहनों, प्यारे पाठकों आपको ये चौथ माता की कहानी कैसी लगी आप नीचे कमेंट बॉक्स में बताये. इसमें कोई गलती हुयी हो तो भी आप नीचे comment box पर जाकर बताये

बोलिए करवा चौथ माता की जय….

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